जानिए कैसे एक युवा किसान ने खेती करके बनाडाली 1200 करोड़ की कंपनी!
यह कहानी है राजस्थान की एक छोटे से गांव की जहां पर हर लड़के का सपना होता है कि अपने मां-बाप के लिए कुछ करे और उनकी नजर में बहुत बड़ा बने।
सब लोग जानते हैं कि हर कोई नहीं चाहता कि वह अपना गांव छोड़कर किसी बाहर वाले के लिए दिन भर मेहनत करें, बल्कि हर कोई चाहता है कि हम अपना खुद का बिजनेस स्टार्ट करें ताकि हम अपनी खुद के पाव पर खड़े रह सके, अपने मां-बाप के सपने को साकार कर सके, मेहनत और लगन से अपना नाम कमा सके। अपने साथ-साथ अपने आसपास के लोगों की भी उन्नति हो सके। लेकिन शुरुआत में बिजनेस करने के लिए उतनी इकोनामिक लेवल पर न होने की वजह से हर कोई वह अपना सपना साकार नहीं कर सकता। हर पिता का सपना होता है कि मैंने जो कष्ट उठाया है वह अपने बेटे के नसीब में ना आए, ऐसे ही मनीषा रखने वाले हमारे किसान के बेटे ऋतुराज शर्मा जिनके पिताजी का पहला सपना था कि वह बाकी लड़कों की तरह बाहर जाकर अपने परिवार के लिए कुछ पैसे वैसे कमाए लेकिन उन्होंने मन में ठान ली थी कि मैं खेती करूंगा और खेती कि इस माध्यम से अपना बिजनेस स्टार्ट करूंगा शुरुआत में उनकी दो एकड़ की जमीन थी लेकिन अब गांव में उनकी 20 एकड़ के जमीन है जिससे वह साला ना इतनी कमाई करते हैं जितनी एक कंपनी के सीईओ की भी नहीं होगी।
फार्मिंग कि अगर बात की जाए तो बहुत लोगों को लगता है कि फार्मिंग में पैसा नहीं होता है इसलिए किसान चाहते हैं कि अपने सेकंड जेनरेशन जो है जो बाहर जाकर कुछ काम धंधा करें लेकिन ऋतुराज शर्मा ने इन सारे लोगों को एक आदर्श दे दिया है जहां पर फार्मिंग की वजह से वह सालाना अच्छी आमदनी कर पा रहे हैं, और अपनी बिजनेस को बड़ा भी रहे हैं।
जिनकी खेती-बाड़ी सालाना बारिश के ऊपर ही निर्भर होती है उनकी बात अलग होती है उनको कई सारे समस्या से गुजरना पड़ता है। लेकिन अगर बात की जाए ऋतुराज के मामले में तो उनके पास पानी की कोई समस्या नहीं थी, मजदूरों की कोई समस्या नहीं, साथ में खेती करने के लिए दो एकड़ की जमीन भी थी। इतना सब कुछ होने के बावजूद उनमें और एक कौशल्य था जो की था प्रोबलम सॉल्विंग, वह कौन सी भी समस्या हो वह उसे पहले समझ लेते थे बाद में अगर वह सॉल्व होने वाली है तभी वह उसे सुलझाते थे नहीं तो उसे छोड़ देते थे ताकि उनका दिमाग उस समस्या की वजह से खराब ना हो सके। शुरुआत में लोगों के कई सारे ताने खाने पड़े लेकिन वह घबराएं नहीं , या फिर डरे नहीं वह अपनी बात पर डटे रहे और उन्होंने यह खेती करके करोड़पति बनने का अपना सपना साकार किया।
आज के समय में ऋतुराज शर्मा कर तो खेती रहे है, लेकिन बिजनेस अप्रोच के साथ करने की वजह से उन्हें यह सफलता प्राप्त हुई है कि वह 3 साल के अंदर में ही करोड़पति का सपना देख सके। शुरुआत में उन्हें आईटी इंजीनियर बनना था लेकिन वही दिमाग उन्होंने यहां पर लगाया, शुरुआत में लोगों की जमीन किराए पर लेकर उन्होंने यह बिजनेस स्टार्ट किया जिससे कि पर एकड़ खर्चा कम हो सके और आमदनी बढ़ सके। तो चलिए जानते हैं पूरा मामला की कैसे अपने बलबूते पर ऋतुराज शर्मा ने खड़ी की अपनी खुद की करोड़ों की कंपनी "Zetta Farms"।
शुरुआती दिनों में 20 एकड़ की जमीन पर काम करने वाला किस आखिर कैसे 20000 एकड़ जमीन पर काम करने लगा, कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री लेने के बाद ऋतुराज शर्मा ने अपना नजरियाखेती की तरफ क्यों मोड़ा? यह खेती करते समय किन-किन बढ़ाओ का उन्हें सामना करना पड़ा? इतने बड़े पैमाने पर अपने मैनेजमेंट को किस तरह से वह संभाल पा रहे हैं? इन सारे सवालों के जवाब हम इस आर्टिकल में ढूंढने की कोशिश करेंगे।
"Zetta Farms" नाम के पीछे का असली मकसद क्या है?
ऋतुराज और उनके साथी पहले से ही चाहते थे की कंपनी का नाम फैक्ट्री के बेस पर हो जैसे कि फॉरेन कंट्रीज में कई हजार एकड़ पर खेती होती है, वैसे ही खेती वह अपने खेती के इस विज़न में करना चाहते थे इसलिए उन्हें अच्छे नाम की तलाश थी। लेकिन अच्छे नाम पहले से ही किसी कंपनी ने ले लिए थे इस वजह से उन्हें नाम ढूंढने में थोड़ी सी दिक्कत पैदा हुई लेकिन बाद में बहुत सारे रिसर्च करने के बाद उन्हें पता चला कि हम अपने कंपनी का नाम क्वांटिटी के बेस पर रख सकते हैं। इसीलिए उन्होंने 10 की 24th पावर जीसे अंग्रेज़ी में Zetta कहा जाता है। इस नाम का चुनाव किया ताकि वह दिखने में और सुनने में अच्छा लगे और नाम के साथ ही साथ कंपनी का विजन भी जो कि कई हजार एकड़ पर खेती करना है वह सारे किसानों को और सारे लोगों को समझ में आए। तो इस तरह थी "Zetta Farms" कंपनी के नाम के पीछे की असली कहानी।
"Zetta Farms" कंपनी की शुरुआत कैसे हुई?
एजुकेशन बैकग्राउंड कंप्यूटर साइंस की होने के बावजूद ऋतुराज ने खेती करने का निर्णय लिया, लेकिन इतना पढ़ने के बावजूद खेती कर रहा है इस लोगों की मानसिकता को उन्होंने ठुकरा कर अपना विजन क्लियर किया। शुरुआती दिनों में 20 एकड़ से उन्होंने शुरुआत की थी और उस समय 6 प्रकार की बीकॉम पर वह काम कर रहे थे।
Krishna Joshi और ऋतुराज शर्मा ने मिलकर इस कंपनी की स्थापना की थी पहले से ही स्टार्टअप बनाने की एक्सपीरियंस होने की वजह से उन्हें इस नए स्टार्टअप में कोई दिक्कत पैदा नहीं हुई। कृष्ण को दोस्त नाटक का और ऋतुराज को तीन स्टार्टअप का पहले से ही अनुभव था।
"Zetta Farms" को इतने बड़े पैमाने पर मैनेज कैसे किया गया?
अगर आप किसी इंफ्रास्ट्रक्चर को किसी बिजनेस में लगाना चाहते हो तो उसकी क्वांटिटी बढ़ा दो यह सिंपल सा रूल उन्होंने इस बिजनेस में युज किया, बड़े पैमाने पर खेती करने की वजह से प्रति एकड़ लगने वाला खर्च कम आता है या बात उन्हें जल्दी समझ में आई। शुरुआत में 20 एकड़ से शुरुआत की थी लेकिन आज वह 20000 एकड़ से भी ज्यादा जमीन पर खेती कर रहे हैं। और 23 /24 ईयर में वह 40 से 60 हजार एकड़ तक कारोबार संभाल लेंगे।
खेती की इस इंफ्रास्ट्रक्चर में उन्होंने ऐसा माहौल तैयार कर दिया जहां पर सारी चीजों अपने हाथों मैं ली। जो इंसान जिस चीज में माहिर है उन्हें वह काम दे दिया ताकि वह उस सेक्टर में ज्यादा से ज्यादा इन्वेंशन कर सके और कंपनी को आगे बढ़ा सके। व्यापार करते वक्त मिडिलमैन ब्रोकर को उन्होंने हटा दिया। उन्नत तकनीक का उपयोग करके उन्होंने यह मंजिल हासिल की।
आज उनके 15 से ज्यादा राज्य में जमीन किराए पर ले ली है और देश के बाहर भी काम करने की उनकी अभिलाषा है। 20000 एकड़ से ज्यादा जमीन पर वह 60 से भी ज्यादा पिक ले रहे हैं, 2900 से भी ज्यादा वर्कर को वह मैनेज कर रहे हैं।
"Zetta Farms"को बनाने वक्त आने वाले समस्याओं को कैसे सुलझाया किया?
फार्मिंग करते वक्त आने वाली सबसे बड़ी समस्या है वातावरण में आने वाले बदलाव।
इसके लिए उन्होंने अपना यह बिजनेस भारत के सारे हिस्सो में फैलाया है ताकि अगर किसी हिस्से पर बारिश हो या किसी हिस्से पर तूफान की वजह से बाढ़ आ जाए तो सिर्फ वहां के क्षेत्र में ही उनको उस समस्या से गुजरना पड़े और बाकी का क्षेत्र सुरक्षित रहे और वहां से वह अपने बिजनेस को संभाल सके।
कोरोना महामारी आने से पहले उनको बड़े नुकसान से गुजरना पड़ा था लेकिन इस वक्त लोगों ने अपना दौर हेल्दी फूड की तरफ मोडा इसकी वजह से कम ऊपज आने की बावजूद उन्हें उसका अच्छा नफा मिला।
आयु कम होने की वजह से शुरुआती दिनों में उन्हें किसानों की तरफ से ताने सुनने पढ़ते थे बाद में उन्हें समझा कर उन्होंने यह बड़े कंपनी उनके साथ ही मिलकर खड़ी की।
"Zetta Farms" का भविष्य में अगला कदम क्या है?
भारत को एक कृषि प्रधान देश के रूप में गिना जाता है जहां पर एग्रीकल्चर सेक्टर के कुल मिलाकर आवज 55000 करोड़ से भी ज्यादा है, यहां पर ऋतुराज की ऐसी मंशा है कि अगले 5 सालों में वह तीन से 5 लाख एकड़ जमीन अपने "Zetta Farms" के तहत लाए और भारत के एग्रीकल्चर सेक्टर के पांच परसेंट भी वह अपने इस कंपनी का योगदान दे सके तो वह अपने आप को कामयाब मानेंगे।
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