सावधान! भारत के साथ-साथ इन कई देशों में बढ़ रही है Deep Fake Technology ।

 सावधान! भारत के साथ-साथ इन कई देशों में बढ़ रही है Deep Fake Technology ।


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 सावधान!  भारत का deep fake के काले साम्राज्य मै हुवि बढ़ोतरी।


 डीप फेक टेक्नोलॉजी आजकल काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। जिससे सारे लोग डरे हुए हैं खासकर के फिल्मी जगत के लोग उनके मन में बहुत घबराहट पैदा हुवी हैं इस तकनीक की वजह से। 

उत्तरी अमेरिका के अलावा, भारत और एशिया के कुछ हिस्सों में डीप फेक तकनीक का बहुत अधिक उपयोग देखा गया है। सभी इंसानों के प्राइवेसी के लिए खतरा बनने जा रहा है यह डीप फेक टेक्नोलॉजी।


आसान भाषा में समझिए आखिर डीप फेक तकनीक क्या है?

आसान भाषा में अगर कहा जाए तो किसी व्यक्ति के वीडियो में किसी और के चेहरे का इस्तेमाल करके उसे किसी हिंसा के लिए  इस्तेमाल किया जाए तो उस विधि को डीप फेक टेक्नोलॉजी कहा गया है। मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से इस तकनीक में और भी बड़े बदलाव किए जा चुके हैं जिसकी सहायता से अपराधी अपने आप को कानून से बड़ा समझने लगे हैं और इस तकनीक का इस्तेमाल समाज में हिंसा फैलाने के लिए कर रहे हैं। इस तकनीक में किसी भी सॉफ्टवेयर की इस्तेमाल से बनावटी ऑडियो और वीडियो बनाया जाता है। यह टेक्नोलॉजी पहले उसे इंसान की जांच करता है जिस पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाने वाला है और बाद में

किसी और फर्जी चेहरे पर उस इंसान के चेहरे का इस्तेमाल करके फर्जी वीडियो और फोटोस बनाए जाते हैं।


 नई दिल्ली: भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान के साथ एशिया प्रशांत क्षेत्र के दस प्रमुख देशों में वित्तीय धोखाधड़ी के लिए डीप फेक तकनीक सबसे महत्वपूर्ण उपकरण बन गई है।  इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की राय है कि 2023 के आसपास यह तकनीक और अधिक विकसित हो जाएगी।  और आने वाले वर्षों में इस तकनीक में और अधिक प्रगति के साथ वित्तीय धोखाधड़ी बढ़ने की संभावना है।  इस तकनीक से वित्तीय धोखाधड़ी के साथ-साथ सामाजिक धोखाधड़ी भी संभव हो गई है। स्कैमर्स इस तकनीक का इस्तेमाल किसी की फोटो खींचने और उसको  mob करके पैसे ऐंठने के लिए कर रहे हैं।  अपराध के क्षेत्र में आया यह नया मोड़ खुद को कानून से भी बड़ा मानता है।  टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क के मुताबिक, क्या एआई तकनीक भविष्य के लिए खतरनाक हो सकती है, यह बड़ी चिंता का विषय है।


The UK-based Sumsub Identity Fraud Report 2023' की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, अगर AI तकनीक का उपयोग करके बनाए गए डीप फेक के बढ़ते अपराध पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो 2024 में इन अपराधियों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ सकती है।  2023 की रिपोर्ट के अनुसार, डीप फेक आईडेंटिटी धोखाधड़ी के वियतनाम में 25.3%, उसके बाद जापान में 23.4%, उसके बाद ऑस्ट्रेलिया में 9.2%, बांग्लादेश में 5.1% और चीन में 7.2% शामिल है।  224 देशों और 24 उद्योग क्षेत्रों में बीस लाख से भी ज्यादा लोगों को इस धोखाधड़ी का सामना करना पढ़ रहा है।

 पिछले वर्ष की तुलना में, उत्तरी अमेरिका में 1740% की वृद्धि देखी गई और एशिया प्रशांत क्षेत्र में डीप फेक तकनीक में 1530% की वृद्धि देखी गई।

 वहीं, अफ्रीका महाद्वीप, लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व में भी धोखाधड़ी की संख्या बढ़ रही है।


 आमतौर पर इस प्रकार की तकनीक में सामाजिक धोखाधड़ी कम हो जाती है और वित्तीय धोखाधड़ी बढ़ जाती है।  वित्तीय धोखाधड़ी में क्रिप्टो क्षेत्र में इन धोखाधड़ी की संख्या अधिक है, यह 80% है।

 2022 के आसपास मनी लॉन्ड्रिंग, अपहरण आदि जैसे कई अपराध 2023 के अंत तक 350% बढ़ गए हैं।

 और जनता के बीच एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या भविष्य में कानूनी व्यवस्था इन आपराधिक प्रवृत्तियों पर अंकुश लगा पाएगी.


आखिरकार कैसे काम करती है यह डीप फेक तकनीक? 

डीप फेक तकनीक आमतौर पर फाइनेंशियल फ्रॉड के लिए किया जाता है जहां पर आपकी नकली आईडी तैयार करना, नकली‌ दस्तावेजों का इस्तेमाल करना, आपकी फोटो को mob करके उसे किसी वीडियो used करके आपकी आईडेंटिटी का गलत इस्तेमाल करना आदि सब चीज इस डीप फेक तकनीक में शामिल है।

इन जैसे अपराधियों ने नरेंद्र मोदी जैसे प्राइम मिनिस्टर की आवाज को भी डीप फेक तकनीक की सहायता से किसी और वीडियो मैं ऐड करके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल किया था। इसके साथ-साथ कई एक्ट्रेस की फोटोस को mob करके उन्होंने एडल्ट वेब सीरीज में उसका उपयोग किया था जिसकी वजह से इस तकनीक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बड़ी आलोचना हुई और सरकार से विनती की गई कि इसके बारे में जल्द से जल्द कठोर शासन की व्यवस्था की जाए।


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते इस दौर में बढ़ता हुआ डीप फेक तकनीक का उपयोग आने वाले पीढ़ी के लिए बहुत ही घातक साबित हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट में‌ इस टेक्नोलॉजी के गैर नियम पर किसी एक वकील ने याचिका दाखिल की थी जिसकी सुनवाई जनवरी में होने वाली है।


आखिरकार किस तरह से बचा जा सकता है डीप फेक टेक्नोलॉजी से।


सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किए गए डिप फेक वीडियो को 24 घंटे के अंदर सरकार ने निकालने की ताकीद  सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को दी गई है। क्योंकि इसकी वजह से लोगों पर उसका बुरा प्रभाव न पड़े।

इंसान अपने फैसियल एक्सप्रेशंस उसके आइब्रोज की हलचल और बोलने का ढंग इसके जरिए डीप फेक तकनीक से बचा जा सकता है।


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